Tuesday, April 21, 2015

Ek Kahani AAP ki Jubani

                                                                धार्मिक भेड़िआ

आज जिस तरह से यादव और भूषण को निकाला  गया , उससे मुझे एक कहानी याद आ रही है   जो मैंने स्कूल में पढ़ी थी।

जंगल में एक नदी थी।  और एक दोपहर  एक मेमना जिसे  बहुत प्यास लगी थी  , पानी पीने आया।  दूर से एक भेड़िये की उस पर नजर पड़ी और वह  भी भागा भागा  वहां आया।  भेड़िये का उस मेमने  को खाने का मन था , उसके मुँह में लार टपकने लगी  . उसने उसे खाने का मन बना लिया।  लेकिन एक बात से डर  रहा था की लोग उसे जालिम न समझेँ। उस ने सोचा पहले इस की कोई गलती निकालूँ  तो इस को सजाये  मौत दूंगा और फिर इसे  खाऊंगा। मेमना उस भेड़िये के इर्रादों से नावाकिफ था। वह पानी की  ओर बढा। तभी भेड़िये ने कहा तुम ने मुझे गाली निकाली  है। मेमने  ने कहा , " मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता।  भेड़िये ने कहा , फिर तेरे बाप ने निकाली  होगी।  मेमना बोला , साहिब  उनको तो मरे भी एक साल हो गया।  भेड़िया बोला , " फिर तेरी माँ ने निकाली  होगी।  मेमना बोला ," साहिब वह भी मर चुकी है।  अब भेड़िये से उसे खाए बिना रहा नहीं जा रहा था।  वह उसे खाने का मन बना चुका  था।  उसने कहा , साले झूठ बोलता है , तेरा तो खानदान ही झूठा है और मैं झूठ को खत्म  कर के रहूँगा।
और फिर भेड़िये ने कहा , तूने नहीं तो तेरे बाप ने , आज नहीं तो पिछले साल निकाली  होगी।  उसकी सजा तुम्हे  मिलेगी और इतना कह कर वह मेमने के  ऊपर टूट पड़ा और उसको खाने लगा।

तभी उसने देखा की और जानवर  जो उसकी जूठन पे पलते  थे ,उस ओर  आ रहे थे. उसने आधा मेमना उन  के लिए छोड़ दिया।  वह सब बाँट के खाने लगे और तभी उनोह्नो देखा जंगल से कुछ और जानवर भी आ रहे हैं.
तभी जूठन खाने वालोँ  ने नारा लगाया कि  झूठ  का अन्त हो गया और सच की जीत हो गयी।  लेकिन कुछ जानवरों को शक़  हो गया की कहीं किसी निर्दोष को तो नहीं मार  दिया।  लेकिन भेड़िये के साथियों ने तभी उनको याद कराया की यह भेड़िया बड़ा धार्मिक है और उन्हें याद कराया की पिछले दिनों इसकी फोटो भी छपी थी जिसमें भेड़िये को पूजा पाठ  और योग करते हुए दिखाया था।  आप चिन्ता  न करे ,अब झूठ नहीं बचेगा और आप को भी खाने को ज्यादा  मिलेगा आप अपने अपने  घर जाएँ,  आप का राशन घर पहुँच जायेगा। यह सुन कर बहुत लोग अपने घर वापिस चले गए।
लेकिन कुछ को शक हुआ की यह इनकी एक चॉल  थी ,और धीरे धीरे  और निर्दोषों को भी मार सकते हैं. और वह दुसरे जंगलों की और निकल गए की दूसरे जंगलों के जानवरों  को आगाह  कर दें कि  वह धार्मिक  भेड़िये से बचें। धार्मिक भेड़िया भी  बेफिक्र अपने अगले शिकार के लिए निकल चुका  था। 

No comments:

Post a Comment