Sunday, April 26, 2015

Atma Ki Mandi

                          आत्मा की मण्डी 

एक  बार एक देश में आत्माओं का अकाल पड़ गया।  देश में त्राहि त्राहि मच  गयी।  नए बच्चों का जनम होना बंद हो गया। एक  रात वहां आकाशवाणी हुई  की अगर लोग बच्चे चाहते हैं तो आत्माओं को खरीद कर लायें। उसी रात लोग आत्माओं की खोज में निकल गए लेकिन कहीं कोई आत्मा बेचने वाले  नहीं मिलते थे।  लोगों की उम्मीद टूटने लगी की तभी किसी ने बताया   की   हस्तिनापुर में जंतर मंतर पर आत्माएं बिक रहीं हैं।
सुब लोगों ने उस तरफ मुंह  किया और दोपहर तक वहां पहुंचे और देखे की वहां आत्माएं बिक रही हैं।  सभी ने अपनी मन पसंद की आत्माए खरीदी , जो अपने बच्चेको पत्रकार बनाना चाहता था उसने पत्रकार की खरीदी और ऐसे ही तभी  भीड़ में से आवाज़ आई की मैं  तो अपने बेटे को कवि बनायुंगा  , मुझे तो   कवि की आत्मा चाहिए।  तभी स्टेज से आवाज़ आई की यह कवि तो देश के सबसे महंगे हैं और कवि के मुंह से निकला ' लटक गया ' और कवि ने अपनी कविता शुरू कर दी।  तभी  भीड़ में से आवाज़ आई की कवि महंगे होंगे लेकिंग आत्मा तो उनकी बहुत सस्ती निकली। और वह सस्ते में कवि की आत्मा लेकर खुश हुआ  .
 लेकिन एक आदमी  अपने बच्चे  को जो  मुख्या मंत्री बनाना  चाहता  था उसने कहा मुझे तो सुप्रीमो की आत्मा चाहिए।  लेकिन हैरानी की  बात तब हुई जब डॉकटरों ने कहा की सुप्रीमो के शरीर में आत्मा नहीं है। सब तरफ उसकी आत्मा की तलाश होनी लगी , लेकिन आत्मा नहीं मिली।
तभी भीड़ ने कहा इसकी इन्क्वारी  होनी चाहिए।  पुलिस ने रपट लिखी। लोग तरह तरह की बातें करने लगे।  किसी ने कहा इसमें किसी देश भकत की आत्मा उत्तर आई थी जो अब इस के काम देख कर भाग गयी। कोई कह रहा  था वह कुर्सी से चिपट गयी है।
 सब अपनी बातें कर रहे थे और उधर सुप्रीमो टीवी पर कह रहा था उसकी आत्मा की चोरी में कोई षड़यंत्र है या कुर्सी में फेविकोल ज्यादा लगा होगा इसलिये कुर्सी से उतर नहीं रही , यह फेविकोल का दोष है , मेरा कोई दोष नहीं। उधर  वह बेचारा  जो  अपने बच्चे को सुप्रीमो  बनाना  चाहता  था मुंह लटकाये खली हाथ  वापिस लौट  रहा था।     

Friday, April 24, 2015

AAP Ke AANSU


                                               आशुतोष के आंसू और केजरीवाल की माफ़ी

जो आशुतोष अब तक यही  कहते थे की मुझे आप के सवालों पे हंसी आती है  और यादव और भूषण ने अपने आप को हंसी पात्र बना लिया है ,और यह कहने के बाद आशुतोष एक बेशर्म हंसी हँसते थे।  आज जब उनको उनकी खत्म होती हुई इन्सानियत के बारे में पूछे गया तो उनके आंसू फुट पड़े।  बहुत लोग कहते हैं यह उनके घड़ियाली आंसू थे।  मुझे लगता है की यह आंसू उनकी आत्मा के थे जो उनको कह रही थी की आशुतोष बहुत ही सस्ते में बेच दिया तुमने मुझको।

आज केजरीवाल जो बहुत दिनों से किसी भी सवाल  से मुंह छुपा रहे थे , और गजेंदर सिंह की मौत का तमाशा बेशर्मी से देख रहे थे, आज जब उनको लगा की माफ़ी मांगना उनके फायदे में है तो उसने माफ़ी मांगी। माफ़ी सिर्फ उससमय मांगी जा सकती है जब आप ने अपराध किया हो , बाद में मांगी गयी माफी तो एक हथियार की तरह है जो एक चालक पापी किसी भी सजा से बचने के लिए मांगता है।

इनके आंसुओं और माफी से आम आदमी धोख़ा  नहीं खायेगा। 

Tuesday, April 21, 2015

Ek Kahani AAP ki Jubani

                                                                धार्मिक भेड़िआ

आज जिस तरह से यादव और भूषण को निकाला  गया , उससे मुझे एक कहानी याद आ रही है   जो मैंने स्कूल में पढ़ी थी।

जंगल में एक नदी थी।  और एक दोपहर  एक मेमना जिसे  बहुत प्यास लगी थी  , पानी पीने आया।  दूर से एक भेड़िये की उस पर नजर पड़ी और वह  भी भागा भागा  वहां आया।  भेड़िये का उस मेमने  को खाने का मन था , उसके मुँह में लार टपकने लगी  . उसने उसे खाने का मन बना लिया।  लेकिन एक बात से डर  रहा था की लोग उसे जालिम न समझेँ। उस ने सोचा पहले इस की कोई गलती निकालूँ  तो इस को सजाये  मौत दूंगा और फिर इसे  खाऊंगा। मेमना उस भेड़िये के इर्रादों से नावाकिफ था। वह पानी की  ओर बढा। तभी भेड़िये ने कहा तुम ने मुझे गाली निकाली  है। मेमने  ने कहा , " मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता।  भेड़िये ने कहा , फिर तेरे बाप ने निकाली  होगी।  मेमना बोला , साहिब  उनको तो मरे भी एक साल हो गया।  भेड़िया बोला , " फिर तेरी माँ ने निकाली  होगी।  मेमना बोला ," साहिब वह भी मर चुकी है।  अब भेड़िये से उसे खाए बिना रहा नहीं जा रहा था।  वह उसे खाने का मन बना चुका  था।  उसने कहा , साले झूठ बोलता है , तेरा तो खानदान ही झूठा है और मैं झूठ को खत्म  कर के रहूँगा।
और फिर भेड़िये ने कहा , तूने नहीं तो तेरे बाप ने , आज नहीं तो पिछले साल निकाली  होगी।  उसकी सजा तुम्हे  मिलेगी और इतना कह कर वह मेमने के  ऊपर टूट पड़ा और उसको खाने लगा।

तभी उसने देखा की और जानवर  जो उसकी जूठन पे पलते  थे ,उस ओर  आ रहे थे. उसने आधा मेमना उन  के लिए छोड़ दिया।  वह सब बाँट के खाने लगे और तभी उनोह्नो देखा जंगल से कुछ और जानवर भी आ रहे हैं.
तभी जूठन खाने वालोँ  ने नारा लगाया कि  झूठ  का अन्त हो गया और सच की जीत हो गयी।  लेकिन कुछ जानवरों को शक़  हो गया की कहीं किसी निर्दोष को तो नहीं मार  दिया।  लेकिन भेड़िये के साथियों ने तभी उनको याद कराया की यह भेड़िया बड़ा धार्मिक है और उन्हें याद कराया की पिछले दिनों इसकी फोटो भी छपी थी जिसमें भेड़िये को पूजा पाठ  और योग करते हुए दिखाया था।  आप चिन्ता  न करे ,अब झूठ नहीं बचेगा और आप को भी खाने को ज्यादा  मिलेगा आप अपने अपने  घर जाएँ,  आप का राशन घर पहुँच जायेगा। यह सुन कर बहुत लोग अपने घर वापिस चले गए।
लेकिन कुछ को शक हुआ की यह इनकी एक चॉल  थी ,और धीरे धीरे  और निर्दोषों को भी मार सकते हैं. और वह दुसरे जंगलों की और निकल गए की दूसरे जंगलों के जानवरों  को आगाह  कर दें कि  वह धार्मिक  भेड़िये से बचें। धार्मिक भेड़िया भी  बेफिक्र अपने अगले शिकार के लिए निकल चुका  था। 

Wednesday, April 1, 2015

If you feel cheated by Kejriwal


Was  Kejriwal a person or a dream?
Kejriwal become a symbol of hope and dream  for an honest politics in this country, where people in politics were alleged to have double standards. But Kejriwal raised those standards to triple from double. Earlier politicians used to have difference in their words and deeds only but Kejriwal progressed further having difference in his thought, word and deed. Earlier at times people in power showed some shame and used to admit their mistakes. He has raised the level to a new shamelessness by singing songs of Bhaichara and kicking on the back and front of  founders of this movement.

Has power corrupted him?
No, no power has the authority to corrupt anyone; power is like rain, which will help the seeds lying in the earth to grow. Power has only made tree of seeds lying in his being.

Does he want Yes men around him – Answer is Big No, he does not want Yes MEN, he want Yes Hollow puppets, who will thrive on Kejriwals alms. He will not allow any man of credibility, courage, dedicated to the larger good, near him. He will wish to kick them on their front and  Back both.

Why people could not see earlier

People near him refused to see because of their own greed or were not intelligent enough to see through his slogans. Yadav and Bhushan owe an Explanation, why they were not concerned at the resignations of, Ms. Bhaduri, Shajia Ilmi and Binny. Why they did not object to the great fraud committed by kejriwal in conducting fake interviews before Lok sabha Elections.

Failure of our main stream writers and thought  in Media, who used to diagnose the immediate, shower praise if he succeeded and abused if he faltered. They could not see through the games of Kejriwal. Most of their writings were diagnostic and not prognostic.

Though I saw through some his games before the Lok Sabha Elections, But still I hoped that I am wrong as I did not allow myself, to let my dream of a honest alternative politics die.

 I started my blog Kejriwal watch, which when I look back, I see that I had been able to see quite early the fault lines in Kejriwal’s Behavior. If you are seriously interested in understanding the initiation, growth and development of the fault lines in his behavior, do read these articles from the beginning.
My first article in March 2014, followed by 40 more on AAP.
Why Kejriwal Watch

 Where Are We     - We are experiencing one of the most exciting time full of hope for a great Indian future.  And the symbol of hope is    Arvind Kejriwal and his AAP. People are in love with him.ButIf this experiment of AAP fails future will be very painful.Who can make this experiment  fail.

1) AAM Adami2) People who have vested interests in the existing system.3)Kejriwal and team AAP.Let us think over them one by one.............



You can Judge yourself who is responsible for shattering the dream of Crores of AAM Adamis and failing the experiment of AAP.